Aarti Kije Hanuman Lala Ki : Bhajan
Lyrics with bhajan hanuman ji
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने मे
देख लो मेरे दिल के नगीने में।
ना चलाओ बाण व्यंग के ऐ विभिषण
ताना ना सह पाऊं क्यूँ तोड़ी है ये माला
तुझे ए लंकापति बतलाऊं मुझमें भी है तुझमें भी है
सब में है समझाऊँ ऐ लंकापति विभीषण ले देख
मैं तुझको आज दिखाऊं श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में
देख लो मेरे दिल के नगीने में।
मुझको कीर्ति ना वैभव ना यश चाहिए
राम के नाम का मुझ को रस चाहिए
सुख मिले ऐसे अमृत को पीने में
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में।
श्लोक- अनमोल कोई भी चीज
मेरे काम की नहीं
दिखती अगर उसमे छवि
सिया राम की नहीं॥
राम रसिया हूँ मैं राम सुमिरण करूँ
सिया राम का सदा ही मै चिंतन करूँ
सच्चा आनंद है ऐसे जीने में
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में।
फाड़ सीना हैं, सब को ये दिखला दिया
भक्ति में मस्ती है, सबको बतला दिया
कोई मस्ती ना, सागर को मीने में
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में।
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